चित्तौड़गढ़ के आर्किटेक्ट द्वारा गुजरात स्थित डाकोर जी में बांके बिहारी वृंदावन की थीम पर ₹8 करोड़ की लागत से बनेगा भव्य मंदिर – सनातन संस्कृति का नया केंद्र
डाकोर, गुजरात: चित्तौड़गढ़ की विख्यात इंडियन आर्किटेक्ट टीम ने गुजरात के पवित्र शहर डाकोर में एक अभूतपूर्व परियोजना की नींव रखी है। आज, गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, परम पूज्य गीता सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में, बांके बिहारी मंदिर के भव्य डिज़ाइन, विस्तृत नक्शे और एक मंत्रमुग्ध कर देने वाले वीडियो का अनावरण किया गया। इस ऐतिहासिक समारोह में हज़ारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु मंदिर के प्रस्तावित स्वरूप को देखकर भाव-विभोर हो गए। यह मंदिर न केवल एक पूजा स्थल होगा, बल्कि सनातन संस्कृति, कला और आध्यात्मिकता का एक जीवंत केंद्र भी बनेगा।
मंदिर की विस्तृत संरचना और धार्मिक महत्व
चित्तौड़गढ़ नगर परिषद से सेवानिवृत्त और इस परियोजना के मुख्य सलाहकार, अनुभवी टाउन प्लानर नंदकिशोर चंगेरिया ने मंदिर की विस्तृत संरचना और उसके आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला की सर्वोच्च पहचान, नागर शैली में निर्मित होगा, जो अपनी जटिल नक्काशी, ऊँची शिखर शैली और पारंपरिक भव्यता के लिए विश्व विख्यात है।
मंदिर के मुख्य आकर्षण:
* तीन गर्भगृह:
* मुख्य गर्भगृह (12x12 फीट): यह गर्भगृह विशेष रूप से श्री बांके बिहारी जी को समर्पित होगा। इसकी डिज़ाइन प्रेरणा सीधे वृंदावन के प्रतिष्ठित बांके बिहारी मंदिर से ली गई है, जो भक्तों को वृंदावन जैसी अनुभूति प्रदान करेगी।
* दो सहायक गर्भगृह (9x9 फीट): इन गर्भगृहों में क्रमशः श्री व्रजाघ्यज्ञ (भगवान कृष्ण का एक रूप) और श्री काली माँ की दिव्य प्रतिमाएँ स्थापित की जाएंगी। यह संयोजन भक्तों को विभिन्न देवी-देवताओं के एक साथ दर्शन का सौभाग्य देगा, जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा और भी समृद्ध होगी।
* दर्शन पेड़ी पर प्रतिष्ठित देवता: मंदिर के प्रवेश द्वार, यानि दर्शन पेड़ी पर श्री गणेश (शुभता के देवता), नाग देवता (संरक्षण के प्रतीक), भैरव (भगवान शिव का उग्र रूप) और हनुमान जी (शक्ति और भक्ति के प्रतीक) की आकर्षक मूर्तियाँ स्थापित की जाएंगी, जो भक्तों को प्रवेश करते ही आशीर्वाद प्रदान करेंगी।
अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित त्रिमंजिला संरचना
यह भव्य मंदिर एक विशाल त्रिमंजिला संरचना होगी, जिसे भक्तों की सुविधा, पहुँच और आध्यात्मिक अनुभव को सर्वोपरि रखते हुए डिज़ाइन किया गया है:
* विशाल बेसमेंट (5000 वर्ग फुट): मंदिर के बेसमेंट में एक विशाल सत्संग हॉल का निर्माण किया जाएगा। यह हॉल भक्तों के लिए आध्यात्मिक प्रवचन, भजन-कीर्तन, और सामूहिक प्रार्थनाओं के आयोजन हेतु एक आदर्श स्थान होगा, जहाँ एक साथ बड़ी संख्या में लोग जुट सकेंगे।
* प्रथम तल पर भव्य सभा मंडप (2700 वर्ग फुट): प्रथम तल पर एक शानदार डुप्लेक्स सभा मंडप होगा, जिसमें एक सुंदर बालकनी भी शामिल होगी। यह सभा मंडप विशेष धार्मिक आयोजनों, उत्सवों और भक्तों के एकत्रित होने के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करेगा, जहाँ से वे धार्मिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकेंगे।
* सुगम प्रवेश और निकास: भक्तों की भीड़ को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रवेश और निकासी हेतु अलग-अलग द्वार बनाए जाएंगे। मंदिर में प्रवेश के लिए चरण पेड़ी से तीन बड़े और भव्य दरवाजे होंगे, जो आगंतुकों को एक दिव्य अनुभव प्रदान करेंगे।
* सर्व-सुलभ परिक्रमा और लिफ्ट: प्रथम तल पर मंदिर की परिक्रमा करने की पूर्ण व्यवस्था की जाएगी, जिससे भक्त शांति और भक्तिभाव से परिक्रमा कर सकें। विशेष रूप से, दिव्यांगों और वृद्धजनों की सुविधा के लिए एक आधुनिक लिफ्ट की व्यवस्था होगी, ताकि सभी आयु वर्ग के श्रद्धालु बिना किसी कठिनाई के मंदिर के सभी हिस्सों तक पहुँच सकें और दर्शन कर सकें।
कलात्मक उत्कृष्टता और पर्यावरण-अनुकूल डिज़ाइन
मंदिर की बाहरी डिज़ाइन भारतीय शिल्प कला का अद्भुत नमूना होगी। इसके लिए राजस्थान के प्रसिद्ध बंशी पहाड़पुर के बलुआ पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इन पत्थरों पर वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर की थीम पर विस्तृत और सुंदर नक्काशी की जाएगी। हर पत्थर को तराशकर खूबसूरत डिज़ाइनों के साथ स्थापित किया जाएगा, जो मंदिर को एक अद्वितीय कलात्मक पहचान देगा।
* परियोजना का आकार और लागत: यह महत्वाकांक्षी परियोजना कुल 15,000 वर्ग फुट का भव्य मंदिर के निर्माण की अनुमानित लागत लगभग ₹8 करोड़ आंकी गई है, जो इसकी भव्यता और गुणवत्ता को दर्शाती है।
* मनोहारी बगीचा और आध्यात्मिक स्थल: मंदिर के चारों ओर एक खूबसूरत और शांत बगीचे का निर्माण किया जाएगा, जो भक्तों को प्रकृति के सानिध्य में आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराएगा। इस बगीचे में कई महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल भी होंगे:
* ईशान कोण: यहाँ एक पवित्र यमुना कुंड के साथ-साथ गोपीश्वर महादेव की स्थापना की जाएगी। महादेव के भव्य मूर्ति स्वरूप को भी स्थापित किया जाएगा, जो आध्यात्मिक वातावरण को और भी समृद्ध करेगा।
* अग्नि कोण: यहाँ एक विशेष यज्ञशाला का निर्माण किया जाएगा, जहाँ नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान, होम और यज्ञ संपन्न किए जा सकेंगे, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।
एकीकृत आश्रम और भविष्य की योजनाएं
मंदिर परिसर को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए, मंदिर को तीन दिशाओं से घेरते हुए एक विशाल आश्रम का निर्माण किया जाएगा। इस आश्रम में 34 अतिथि कक्ष के साथ-साथ 4 बड़े डोरमेट्री हॉल भी बनाए जाएंगे। यह व्यवस्था विशेष रूप से दूर-दराज से आने वाले भक्तों, तीर्थयात्रियों और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले आगंतुकों के लिए आरामदायक और सुरक्षित आवास सुनिश्चित करेगी। यह आश्रम न केवल भक्तों की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि मंदिर के दिव्य स्वरूप को भी और अधिक निखारेगा।
इंडियन आर्किटेक्ट टीम का सम्मान
इस शुभ अवसर पर, गीता सागर महाराज जी ने इंडियन आर्किटेक्ट चित्तौड़गढ़ के डायरेक्टर डॉ. चंद्रशेखर चंगेरिया का विशेष रूप से सम्मान किया। महाराज जी ने डॉ. चंगेरिया को अपर्णा पहनाकर उनका स्वागत किया और मात्र डेढ़ माह की रिकॉर्ड अवधि में इस जटिल और विस्तृत परियोजना का डिज़ाइन कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण करने के लिए उनकी टीम के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। यह त्वरित और कुशल कार्य इंडियन आर्किटेक्ट की विशेषज्ञता, समर्पण और वास्तुकला के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह बांके बिहारी मंदिर डाकोर में एक नए आध्यात्मिक अध्याय की शुरुआत करेगा, जो भक्तों को शांति, प्रेरणा और सनातन धर्म के गौरवशाली इतिहास से जोड़ेगा।
डॉ. चंद्रशेखर चंगेरिया
डायरेक्टर, इंडियन आर्किटेक्ट, चित्तौड़गढ़